हर किसी के अधूरे सफर को पूरा करने वाली फिल्म…ये जवानी है दीवानी
फिल्म ये जवानी है दीवानी की रिलीज को 7 बरस हो गए हैं लेकिन क्या है ऐसा इस फिल्म में जो वक्त की धूल इस पर पड़ने नहीं देता..फिल्म से जुड़े अपने जज्बात बता रहे हैं शशांक शेखर.
वो कहते हैं ना, कुछ फिल्में आपको ये यकीन करने पर मजबूर कर देती हैं की ये फिल्म ख़ास आपके लिए बनाई गई है। करीब 7 साल पहले जब मैंने फिल्म ये जवानी है दीवानी देखी तो कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ था। पर्दे पर फिल्म चल रही थी और दिमाग में बनी(रणबीर कपूर) की अमिट छाप अपना असर छोड़े जा रही थी। जी हां, वहीं बनी जो हम सब बनना चाहते हैं। अपने सपनों को हाथों में लिए दौड़ना चाहते हैं। जोश, जुनून, पागलपन लिए पा लेना चाहते हैं वो हर एक मंजिल, जो हमें चाहिए।
ये फिल्म आपको अपना जुनून पालने की हिम्मत देती है। कुछ लोगों को ये पुराने जुनून को फिर से जिंदा करने का हौसला भी देती है। लेकिन, चूंकि ये सब एक सिनेमाई करिश्मा है तो असल ज़िन्दगी में आपके साथ वैसे कुछ नहीं हो पाता जैसा फिल्म में बनी(रणबीर कपूर) करता है। बनी हम सबमें से एक हो जाता है, जो अपना सपना पूरा कर पाया। लिहाज़ा उसकी जीत, उसका सफर, उसकी मस्ती, उसका दुख, उसकी मुश्किलें हम अपनी बना लेते हैं और एक सफर में हम उसके साथ लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क चले चलते हैं।
बनी एक पॉजिटिव इंसान है। वो आपकी ज़िन्दगी के 3 घंटो में रंग, जुनून और जोश भर देता है।
आज 7 साल बाद ये फिल्म एक छोटा लेकिन कामयाब सफर तय कर चुकी है। इस फिल्म ने देश के युवाओं, सपने देखने वाले लोगों और दोस्ती, प्यार के नए मायने लोगों को सिखाए हैं। बनी हमें सिखाता है कि कैसे ज़िन्दगी अपनी शर्तों और खुलकर जीनी चाहिए।
बनी, नैना, अवि और अदिति ये सारे किरदार जैसे आज भी दिल के कोने में संजोकर रखे हुए हैं। दोस्ती, जुनून, इश्क़, परिवार और ज़िन्दगी को सलाम करती इस शानदार फिल्म के सफर में आप हम सभी इसके हमराही हैं क्यूंकि ये फिल्म हर किसी के अधूरे सफर को पूरा करती है।