Birthday Special Dara Singh : जब खूंखार शेरों के साथ सो गए रुस्तम ए हिंद दारा सिंह
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है ...बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा..अल्लामा इकबाल की ये शायरी रुस्तम ए हिंद दारा सिंह (Dara Singh) पर सटीक बैठती है. आज दारा सिंह की जयंती है. उनका जन्म 19 नवंबर को 1928 को अमृतसर…