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nandita das

MANTO SPECIAL REVIEW : तहजीब के मायने यों तो गहरे हो सकते थे पर फ़िलहाल पर्दादारी इसका शॉर्टकट है

मंटो एक जगह लिखते हैं कि- ‘उन्हें सियासत में उतनी ही दिलचस्पी रही जितनी गाँधी जी को फिल्मों में। गाँधी जी को फिल्म देखनी चाहिए और मुझे सियासत में दिलचस्पी रखनी चाहिए थी।’ तहज़ीब न गाँधी को कुबूल कर पायी और न मंटो को।