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Movie Review Mrs : इतनी ज़रूरी फ़िल्म है कि इसे जितनी भाषाओं में बनाया जाय कम है

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पहला इम्प्रेशन यही था कि ओरिजनल फ़िल्म देखी थी तो इसमें क्या ही मज़ा आएगा, दूसरा बॉलीवुड रीमेक से बाहर निकल के ओरिजिनल कहानियों पर कब ध्यान देना शुरू करेगा लेकिन जब फ़िल्म देखना शुरू किया तो एक बात शिद्दत से महसूस हुई। हर फ़िल्म का रीमेक अलग बात है लेकिन ये इतनी ज़रूरी फ़िल्म है कि इसे जितनी भाषाओं में बनाया जाय, जितने घरों तक पहुंचाया जाय, उतना बेहतर। ये भले एक औरत, एक घर, एक परिवार की कहानी है लेकिन ये फ़िल्म मर्दों के लिये है। हम मर्दों के लिए जो सदियों से औरतों के हाथ से बना भोजन खाते रहे और बिना सराहना के शब्द बोले उसमें सुधार की गुंजाइशें देखते रहे। हम सब पुरुषों और घरों के मुखियाओं को यह फ़िल्म दिखाया जाना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। कमाल!

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