नूरजहां “हमारी सांसों में आज तक वो…हिना की ख़ुशबू महक रही है”
उनकी आवाज़ की दीवानगी और उसका असर कुछ ऐसा था कि खुद लता मंगेशकर उनके जैसा बनना चाहतीं थीं, उनके जैसा गाना चाहतीं थीं।
आज जानी मानी गायिका और गुजरे जमाने की अभिनेत्री नूरजहां की 18वीं बरसी है. 23 दिसंबर 2000 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था..उन्हें मल्लिका ए तरन्नुम के नाम से भी जाना जाता है..उनकी आवाज़ की दीवानगी और उसका असर कुछ ऐसा था कि खुद लता मंगेशकर उनके जैसा बनना चाहतीं थीं, उनके जैसा गाना चाहतीं थीं। नूरजहां ने 1947 में अपना भरा पूरा बंबई का करियर छोड़ दिया था और कहा था कि जहां पैदा हुई हूं वहीं रहूंगी वहीं मरूंगी। जवां है मोहब्बत हसीं है ज़माना उनका सबसे लोकप्रिय गीत आप यहां सुन सकते हैं।
21 सितंबर 1926 को पाकिस्तान के पंजाब कसूर में उनका जन्म हुआ था..उनका बचपन का नाम अल्ला रखी था..परिवार संगीत से जुड़ा था.मदद अली और फतेह बीबी की 11 औलादों में से वो एक थीं..वालिद वालिदा चाहते थे कि वो संगीत में करियर बनाएं लेकिन नूरजहां उर्फ अल्ला रक्खी को फिल्मों में काम करने का भी शौक था..परिवार में माहौल संगीत का ज्यादा था तो पांच – छह साल की उम्र से ही नूरजहां ने लोक संगीत गाना शुरू कर दिया ..उनकी शिक्षा उस्ताद बड़े गुलाम अली खां साहब की सरपरस्ती में हुई…ये संगीतमयी रौशनी इतनी जबरदस्त थी कि महज नौ साल की उम्र से उन्होंने ग़ज़लें गाना शुरू कर दिया..उन्हे नूरजहां नाम कलकत्ता से मिला..उनकी गायकी की रौशनी में लोगों ने उन्हें बेबी नूरजहां नाम से बुलाना शुरु कर दिया..इसी बीच फिल्मों में भी बतौर एक्ट्रेस काम करना शुरु कर दिया.. और जल्दी ही बड़ी स्टार बन गईं..उन्ही में से एक कामयाब फिल्म थी खानदान जिसमें वो प्राण साहब के साथ नज़र आयीं..इस फिल्म को डायरेक्ट करने वाले शौकत हुसैन रिजवी उन पर मर मिटे और साल 1944 में दोनों ने शादी कर ली..
फिर आया विभाजन यानि बंटवाले का साल..1947 में उन्होंने अपने पति के साथ पाकिस्तान जाने का फैसला किया. ऐलान किया – जहां पैदा हुई हूं, वहीं जाऊंगी. यह वो दौर था, जब बंबई जो अब मुंबई है वहां वो बड़ा नाम कमा चुकी थीं. उनकी फिल्में खानदान, नौकर, दोस्त, जीनत, विलेज गर्ल, बड़ी मां, अनमोल घड़ी और जुगनू कामयाब थीं..
पाकिस्तान में भी वो फिल्मों से जुड़ीं रहीं और उनके अफेयर्स के किस्से छपने लगे..1951 में पति से अलग हो गयीं..वजह थी ये घटना.. एक अफेयर क्रिकेटर मुदस्सर नजर के पिता नज़र मोहम्मद के साथ बताया जाता है.. कहा जाता है कि एक बार घर में नज़र मोहम्मद और नूरजहां थे. इसी दौरान नूरजहां के पति आ गए. नजर मोहम्मद नूर के पति को देख खिड़की से कूद गए, जिसकी वजह से उनकी टांग टूट गई और दोनों की शादी भी।
1959 में नूर ने दूसरी शादी की वो भी खुद से नौ साल छोटे एक्टर एजाज दुर्रानी से.. इस शादी से उनके तीन बच्चे हुए. 1963 में फिल्मों से रिटायर हुईं..दूसरी शादी 1979 में तलाक के साथ खत्म हुई.वो गायकी में सितारा हो गयीं..उस वक्त ज्यादातर गायकों को एक गाने के साढ़े तीन सौ रुपये मिलते थे लेकिन नूरजहां को दो हजार रुपये तक में साइन करने को मेकर्स तैयार थे..इसी दौरान उन्होने भजन भी गाया मन मंदिर के देवता जिसे पाकिस्तान ने बैन कर दिया.
1982 में वो भारत आईं..उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की. स्टेज पर तीन गाने गाए उनमें से एक फैज़ की गजल मुझसे पहली सी मुहब्बत मेरे महबूब न मांग थी और इसके बाद फैज़ ताउम्र कहते रहे.. यह नज्म मेरी नहीं रही, यह तो नूरजहां की हो गई है.
उनका गाया चांदनी रातें नये दौर में रिमिक्स हुआ तो हमारी सांसो में आज तक वो ..90 के दशक में रिक्रियेट किया गया दो लोकप्रिय रहा…आज फिल्मसिटी वर्ल्ड ने महान गायिका नूरजहां को याद किया..