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Classic Tale : राज कपूर( Raj Kapoor) और उनका चार्ली चैपलिन वाला अभिनय !

Raj Kapoor की एक्टिंग में चार्ली चैपलिन का प्रभाव हमेशा से आलोचकों की बहस का मुद्दा रहा..हमारी होनहार लेखक प्राची बता रहीं हैं क्यों चैपलिन से परे भी शो मैन को देखे जाने की जरूरत है.

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बॉलीवुड के शोमैन Raj Kapoor जिन्होने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को आवारा, श्री420, जागते रहो, मेरा नाम जोकर जैसा शानदार सिनेमाई तोहफा दिया उनपर भी सवाल वक्त वक्त पर उठते रहे.राज कपूर की फिल्में जितनी शानदार थी उनकी एक्टिंग को लेकर हमेशा कई सवाल जरूर खड़े होते आए कि वो चार्ली चैपलिन की नकल करते थे। वैसे ही बोलना, चलना, हरकतें करना।
लेकिन कहां तक…उनकी फिल्मों में जहां वो एक हिस्से में चार्ली चैपलिन जैसे नजर आते तो दूसरे हिस्से में वो खुद राज कपूर होते है। आवारा फिल्म में जहां फिल्म के फर्स्ट हाफ में ‘मैं आवारा हूं’ गाने गाते हुए चार्ली चैपलिन की नकल करते दिखते हैं। तो वहीं दूसरे हाफ में राज होते है, रीता से प्यार से लेकर कोर्ट में अपने गुनाह के लिए पिता को नहीं बल्कि परवरिश को जिम्मेदार ठहराने तक वो राज होते, कहीं कोई चार्ली चैपलिन नहीं….


श्री420 में भी जहां शुरूआत में वो अपनी गरीबी चार्ली चैपलिन के अंदाज में दर्शकों के सामने पेश करते हैं। तो वहीं सैंकेड हाफ में वो वापस राज होते हैं जो अपनी गरीबी से तंग आकर इससे छुटकारा पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। भले इसके लिए उसे विद्या से ही क्यों ना दूर जाना पड़े। जहां वो केवल राज हैं चार्ली चैपलिन नहीं


राज कपूर भारतीय सिनेमा की सबसे शानदार फिल्मकारों में से एक है। जिन्होने अपने वक्त से आगे की कहानी सोची और उस पर फिल्में बनाई। अपनी डायरेक्शन, कहानी के लिए उन्हे हमेशा सर आंखों पर बैठाया जाता है। लेकिन एक्टिंग का सवाल आने पर एक लाइन में समेट दिया जाता है कि राज कपूर तो चार्ली चैपलिन की नकल करते हैं।


राज कपूर एक महान फिल्मकार थे। वजह उनकी कहानियां लेकिन उन कहानियों जब उन्होने एक्टिंग की तो वो केवल चार्ली चैपलिन की नकल नहीं थी। अगर ऐसा होता तो आवारा का राज कभी आवारा नहीं बनता, श्री420 का राज पैसों के आगे बहकता नहीं और जागते रहो का वो गरीब गांववाला जो पानी की दो बूंद की तलाश समाज की हकीकत के आगे यूं बेबस ना होता।
राज कपूर की फिल्मों में उनका किरदार भले ही चार्ली चैपलिन के लिहाज से सामने आता हो लेकिन कहानी खत्म होते-होते वो अपनी एक छाप छोड़ता रहा है और शायद कई वजहों में से एक वजह ये भी थी जो उनकी फिल्म की कहानी को भीड़ से अलग खड़ा करती थी। उस वक्त के समाज की सोच और सभ्यता पर सवाल उठाती राज कपूर की फिल्में में उनकी एक्टिंग उसे संजीदा बनाने में अहम किरदार बनाती रही है और इस तथ्य को आप चार्ली चैपलिन की नकल का नाम देकर किसी भी तरह से छोटा नहीं ठहरा सकता।

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