दिलजीत हॉकी से पहले से वास्ता क्या रहा ।
हॉकी मेरे पिताजी खेलते थे मगर मेरा कोई वास्ता नहीं रहा, उन्होने मुझे जबकि हॉकी भी लाकर दी थी मगर मेरा रुझान संगीत की तरफ ज्यादा था।
ताप्सी फिल्म काफी भावुक लग रही है।
हां सही कहा आपने..ये बहुत भावुक फिल्म है मगर मेरे लिए सबसे बड़ी बात ये थी कि मुझे अपने करियर के इतनी शुरुआत में ही स्पोर्ट्स फिल्म करने का मौका मिल रहा था, क्योंकि मुझे खेल काफी पसंद है..ऐसा स्पोर्ट्स जो कभी खेला ही नहीं था..लेकिन एक शर्मिन्दगी भी थी कि संदीप सिंह के बारे में हमें कुछ नहीं पता था..
संदीप सिंह का क्या रिएक्शन था..
दिलजीत- पहली बार मैं उनसे पार्टी में मिला था तब कोई ऐसा रिश्ता नहीं बना ..बाद में ट्रेनिंग के टाइम लंबा वक्त गुजारा तब काफी बातें उन्होंने बतायीं जो मुझे नहीं पता थीं, न सिर्फ खेल के बारे में बल्कि उनकी निजी जिंदगी के बारे में. मुझे बस इतना पता था कि वो कैप्टन थे हॉकी टीम के लेकिन ये नहीं पता था कि उनकी पीठ में गोली लगी थी और ये भी नहीं पता था कि हॉकी का पूरा गेम ही पीठ पर टिका होता है क्योंकि आप झुक कर खेलते हो। और जिस बंदे के पीठ में गोली लगी हो जिसे डॉक्टर जवाब दे चुके थे उस बंदे ने फिर कैसे वापसी की ये पता नहीं था और वाकई ये शर्मिंदगी की बात है हमारे लिए तो इस फिल्म के जरिए हम वो कहानी बताने वाले हैं जो लोगों को पता नहीं।
व्हील चेयर के साथ शूटिंग करना कैसा रहा।
दिलजीत- बड़ी खतरनाक फीलिंग है जी वो..मतलब सच्ची में बहुत खतरनाक, मेरा पूरा रिहैब का सेशन उसपर है फिल्म में और उससे उठने के बाद भी एक डिप्रेशन घेर लेता है आपको, मैं तो फिर भी एक्टर था मगर संदीप पा जी का सोचिए कैसे वो बंदा इस व्हील चेयर के साथ जीता रहा और अपनी वापसी की इच्छाशक्ति से उस व्हील चेयर से उठा। हर कोई ऐसा नहीं कर सकता और इसीलिए नाम भी हमने सूरमा रखा है।
ताप्सी आपका क्या रोल है क्योंकि पिक्चर तो संदीप सिंह के बारे में है।
– वो मैं नहीं बता सकती लेकिन इतना कह सकती हूं कि संदीप की इस वापसी में बहुत से और लोगों का भी योगदान था और उनमें से मेरा जो रोल है वो भी है लेकिन ज्यादा डिटेल्स आप पिक्चर में देखना।
आप साउथ में ढेर सारा काम कर चुकी हैं..बॉलीवुड में अच्छी फिल्में कर रहीं है…ये पहली बार पंजाब कनेक्शन निकला है तो कितना फायदा उठाया आपने।
– मैने तो फुल फायदा उठाया है पंजाब में शूट करने का..मतलब जब हिन्दी फिल्म पंजाब के बैकड्रॉप पर हो तो वो एक होमग्राउंड वाली फीलिंग आ जाती है..मेरे लिए हॉकी ज्यादा चैलेंजिंग था न कि पंजाब का बैकग्राउंड जबकि मैं दिल्ली से हूं। लेकिन इस किरदार की खूबसूरती ये है कि जो आप स्पोर्ट्स वीमन के बारे में सोचते हैं न कि वो ग्राउंड और ग्राउंड के बाहर दोनों जगह काफी अग्रेसिव होगी तो ऐसा नहीं है, ग्राउंड पर तो ये लड़की काफी अग्रेसिव है लेकिन उसके बाहर की दुनिया में एक आम लड़की जैसी शर्मीली और कम बोलने वाली है.
दिलजीत, हम बस खबरों में ये बात जान पाये लेकिन आपलोग स्क्रिप्ट लेवल पर, रिसर्च लेवल पर और एक्जीक्यूशन लेवल पर हिस्सा बने संदीप सिंह की जिन्दगी का..तो कितना इमोशनल रहा ये सफर आपके लिए…
– बहुत भावुक लम्हा था..जैसा कि आपने जिक्र किया कि तीन स्तर पर हम उनकी जिन्दगी से गुजरे और न सिर्फ उस हादसे का बल्कि उस हादसे के बाद के उतार चढ़ाव भी काफी झकझोर कर रख देते हैं, लेकिन ये कहानी डिप्रेसिंग नही बल्कि प्रेरणा देने वाली साबित होगी।
दिलजीत दो भाईयों की भी कहानी है इस फिल्म में ..कैसी रही अंगद बेदी के साथ ट्यूनिंग।
– बहुत खूबसूरत रही..अंगद पा जी के साथ पहली बार मैं काम कर रहा था..लेकिन गजब की जोड़ी है हमारी इस फिल्म में और मुझे लगता है काफी बेहतर निकलकर आये होंगे हमारे सीन्स..बहुत प्यारे इंसान है वो।
दिलजीत पहले आप ये फिल्म करने को राजी नहीं थे…क्या वजह थी..
– उस वक्त हॉकी पर कई फिल्में बन रहीं थी …मुझे जब अप्रोच किया गया तो मुझे लगा कि ये भी एक आम स्पोर्ट्स बायोपिक होगी इसलिए मैने सोनी वालों का कह दिया कि कुछ और करा लो लेकिन बायोपिक नहीं..मगर फिर जब मैने कहानी सुनी तो लगा कि ये आम स्पोर्ट्स फिल्म नहीं है..और संदीप पा जी की कहानी सामने लाने का मौका मिल रहा था जो बहुत से लोगों को पता नहीं है।
कितना दबाव था ये बायोपिक करते हुए दिलजीत
– कोई दबाव नहीं था क्योंकि सौभाग्य से हर रोज़ सेट पर हमें गाइड करने के लिए संदीप पा जी तो थे ही साथ ही उनके भाई भी थे, तो कुछ गलत होता तो वो दोनों वहां थे हमें सही तरीका बताने के लिए।
हॉकी को नैचुरल तरीके से खेलना परदे पर कितना चैलैंजिंग था ?
देखिए हमें बस दिखाना था कि हम वैसा ही स्टांस ले रहे हैं तो हमें सचमुच का लगातार खेलना नहीं था, तो मैं वो नकल अच्छी कर पाया हूं ऐसा मेरा मानना है बाकी तो असल में तो उनकी स्पीड 145 है जो कि अपने आप में वर्ल्ड रिकॉर्ड है तो वो करना तो मुश्किल है।
ताप्सी कोई पनिशमेंट भी मिली आपको।
(हंसते हुए) जी हां..मुझे अच्छी तरह से याद है कि ट्रेनिंग के वक्त मेरा एक सीन था जिसमें मुझे बाजियां लगानी थी । गुलाटी मारना एक तरह की एक्सरसाइज़ थी मगर वो मैने कर ली और सेट पर मौजूद सभी लोग जमघट लगाकर वो सीन देखे।
ताप्सी मानती हैं कि ऐसी बायोपिक जिसमें रियल लाइफ जैसी ट्रेनिंग हो वो ज्यादा कठिन है बाकी रेगुलर फिल्मों से।
देखिए आसान तो कुछ भी नहीं है लाइफ में, खासतौर पर मेरी जिन्दगी में तो मैने आसानी देखी नहीं..एक बड़ी मजाकिया बात ये हुई कि संदीप सिंह से मिलने से पहले मुझे लगता था कि रिटायरमेंट की उम्र वाले होंगे लेकिन जब मैं मिली उनसे तो मैं हैरान रह गयी और मैने बोल दिया कि आप तो यंग हैं तो उन्होने कहा तो तुम्हे क्या लगा कि मैं 60 साल का हूं, लेकिन ये एक अचीवमेंट भी है मेरे ख्याल से सबसे यंग स्पोर्ट्स मैन पर ये बायोपिक बन रही है।
ताप्सी और दिलजीत क्या आप मैजिक या मैजिकल मोमेंट्स में विश्वास करते हैं।
– मेरे साथ तो आजतक मैजिक ही हो रहा है , मैं तो भरोसा करती हूं जादू में, किस्मत में..दिलजीत (हंसते हुए) मैं नहीं करता भरोसा , मेरे साथ नहीं हुआ कुछ जादू जैसा।
दिलजीत ऐसी कहानी जो आप चाहते हैं परदे पर कही जाये पंजाब के बैकग्राउंड से।
– बहुत सी कहानियां हैं..पंजाबी लिटरेचर में खासतौर पर..कुछ पर तो फिल्म बन सकती है मगर कुछ तो इतनी बेहतरीन हैं कि उनपर फिल्म बनाना भी किसी चुनौती से कम नहीं।
ताप्सी राजी ने 100 करोड़ किये वो भी एक वीमेन सेंट्रिक फिल्म होकर भी तो इस बदलते ट्रेंड पर क्या कहेंगी।
– हां बहुत खुश हूं लेकिन अभी तो ये शुरु हुआ है..काफी अच्छी शुरुआत है।
फिल्मों को ना बोलना कितना मुश्किल होता है, आपके साथ ये बात काफी लगी हुई है।
– मैं बहुत विनम्र तरीके से मना करता हूं,,और फोन पर नहीं मिलकर मना करता हूं ( हंसते हुए)
इस फिल्म में गाना गाया है आपने।
जी हां इस फिल्म में मैने एक गाना गाया है, जिसका म्यूजिक शंकर एहसान लॉय का है और गुलज़ार साहब ने बड़ा खूबसूरत गाना लिखा है।
दिलजीत पंजाब में संगीत, सरहद पर जवान, हॉकी प्लेयर्स सभी हैं तो इसके बारे में कुछ बोलें।
मुझे लगता है कि जो भी हिन्दुस्तान में दाखिल हुआ वो हमारी तरफ से घुसा, तो जब भी सीना तानकर खड़ा होना पड़ा हम खड़े हुए, संगीत में भी ओवर द टॉप सुर लगाये तो वो हमने जो देखा है झेला है उसकी देन है।
ताप्सी आप एक बार फिर से बच्चन साहब के साथ काम कर रहीं है..फिल्म का नाम मुल्क है।
– मैं बहुत उत्साहित हूं, मुझे बच्चन सर के साथ जोड़ी जमाने को फिर से मिल रहा है तो मैं तो सातवें आसमान पर हूं।
दिलजीत ध्यानचंद पर भी फिल्म बननी चाहिए।
– ध्यानचंद पर फिल्म तो अबतक बन जानी चाहिए थी। अफसोस कि नहीं बन पायी।