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कश्मीर की एक ज़रूरी कहानी Valley of saints

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फ़िल्मकार मुसा सईद की ‘ Valley of saints’ कश्मीर पृष्टभूमि की एक प्रेम कहानी है। कश्मीर के रूह को व्यक्त करती एक ज़रूरी फ़िल्म। कश्मीर की आबे-हयात समझी जाने वाली ‘डल झील’ के नैसर्गिक वातावरण को हिंसक गतिविधियों ने दुषित सा कर दिया है ।डल के सहारे बसे बहुत से नाविक परिवार इस सबसे बेहद त्रस्त से रहते हैं। डल की इस तरह की अशांत गतिविधियों से एक तरह से शिकारे वालों का जीवन आधार ही छीन गया है । मुख्य नायक युवा नाविक गुलज़ार स्वर्ग को नरक में तब्दील होते देख बेहद दुखी है।

Valley of Saints

बेहतर ज़िंदगी की चाह में वह ‘कश्मीर’ को छोड कर कहीं और जाने का मन बनाता है । लेकिन यहां पर भी तकदीर साथ नहीं, शहर में हफ़्ते दस रोज़ से ‘curfew’ लगा हुआ है । अब उसे स्थिति सामान्य होने तक इंतज़ार करना होगा, वक्त गुज़ारने के लिए वह युवती असीफ़ा के काम में हांथ बंटाता है । पेशे से वैज्ञानिक असीफ़ा पर्यावरण का अध्य्यन कर रहीं हैं।

Asifa from Film

अपने काम में मदद के लिए वह गुलज़ार को साथ लेती हैं । काम की वजह से दोनों में एक संवेदना डोर बंध जाती है । मुहब्बत पनपने लगती है। इधर असीफ़ा के अध्य्यन से कुछ उदासीन व चिंताजनक नतीज़े सामने आते हैं, यह बता रहे हैं कि किस तरह ‘डल झील’ और उसके आस-पास की ‘ecology’ प्रदुषित हो चुकी है । गुलज़ार सत्य को जानकर स्तब्ध सा है…

Valley of Saints

अब कैसे जिंदगी गुज़ारेंगे शिकारे वाले? सदा से स्वर्ग समझी जाने वाली ‘कश्मीर’ क्या आज भी जन्नत है ? इसके बाद गुलज़ार एवं कश्मीरियों की ज़िंदगी किस रूख जाएगी?… यही कहानी है । मुसा सईद की फ़िल्म कश्मीर पृष्टभूमि की एक जरूरी कहानी कहती है।

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