Ranbir Kapoor के अभिनय से सजी संजू आधिकारिक रूप से संजय दत्त के जीवन पर बनी थी। लेकिन यह उनकी पूरी जीवनी नहीं। क्योंकि फिल्म मुख्य रूप उनके जीवन के दो घटनाक्रमों पर केंद्रित रही । पहला संजू के नशे की लत में फंसने और उससे उबरने का संघर्ष। दूसरा घटनाक्रम बम विस्फोट कांड, जेल जाना व बाहर आना व एक बार फिल्म उद्योग में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराना। यह कहानी संजय दत्त के अलावा सुनील दत्त की भी है। एक पिता किस तरह तमाम लांछनों और बदनामियों के बावजूद अपने बेटे के साथ खड़े रहा। सिर्फ इसलिए नहीं कि वे एक पिता थे और उन्हें बेटे से बेइंतेहा प्यार था। बल्कि इसलिए भी कि उन्हें अपने बेटे की नीयत पर संदेह नहीं था। पढ़िए सैय्यद तौहीद का विशेष लेख-

यह कहानी किसी भी अमीर घर के एक बिगड़ैल लाडले की कहानी हो सकती है। फर्क सिर्फ इतना है कि सबको सुनील दत्त जैसा पिता नहीं मिलता। निर्देशक राजकुमार हिरानी ने बाप- बेटे के रिश्ते को प्रभावी ढंग से पेश किया है। यह फिल्म दो दोस्तों- संजू और कमलेश (विकी कौशल) के रिश्तों की खूबसूरत बानगी भी पेश करती है। राजकुमार हिरानी ने संजय दत्त के जीवन के ज्यादा प्रसंगों को नहीं छुआ। हां, जितना भी किया बेहतर।

किरदारों के लुक पर ख़ूब मेहनत की गई । संजय दत्त का लुक तो पोस्टर – ट्रेलर से पहले ही लोकप्रिय हो गया था। नर्गिस दत्त के किरदार में मनीषा कोईराला, मान्यता दत्त के रूप में दीया मिर्जा एवं प्रिया दत्त के रूप में अदिति सेइया का गेटअप रियल लाइफ़ से मेल में बनाया गया। हालांकि परेश रावल का गेटअप बहुत मेहनत की जा सकती थी। संजय दत्त के रूप में रणबीर कपूर ने शानदार अभिनय किया । रणबीर को इस रोल के लिए साल का ‘फिल्मेयर अवार्ड’ भी मिला। कहने में कोई गुरेज नहीं कि अपनी पीढ़ी के सबसे समर्थ अभिनेताओं में एक हैं। इस फिल्म के लिए उन्होंने काफी मेहनत की । वह हर दृश्य में दिखती भी है।

किसी जीवित अभिनेता, जो अभी भी फिल्मों में सक्रिय है। लोकप्रिय है। ऐसा किरदार निभा जाना बड़ी चुनौती हुआ करती है। इस चुनौती को रणबीर ने लिया व निभाया भी। रणबीर को देखना संजय दत्त को देखना था। यही फ़िल्म की फ़ोकस भी था। सुनील दत्त के रोल में परेश रावल ने कोशिश अच्छी की लेकिन वो ज़्यादातर परेश रावल ही लगे।

संजय दत्त के मित्र का किरदार विकी कौशल ने प्रभावशाली तरीके से अदा किया। विक्की कौशल भी योग्य अभिनेता हैं। फ़िल्म के लिए आपको ‘श्रेष्ठ सहायक अभिनेता’ का फिल्मेयर पुरस्कार भी मिला। अनुष्का शर्मा पीके के पत्रकार जैसी ही महसूस हुई। मान्यता दत्त के रूप में दीया मिर्जा ठीक ठाक था। मनीषा कोईराला, सोनम कपूर ( रुबी), बोमन ईरानी (रुबी पिता) और जिम सर्ब की छोटी भूमिकाएं कहानी में फिट बैठी।

संजय दत्त को ड्रग्स देने वाले व्यक्ति का किरदार जिम ने इतना शानदार तरीके से निभाया कि आप उनसे वाकई नफरत करने लगते हैं। राजकुमार हिरानी की ‘संजू’ संजय दत्त के प्रति सहानुभूति पैदा करती है। संजय को भावुकरूप में पेश करती है। ऐसा शख्स जिसकी आदतें भले ही बुरी हैं, लेकिन आदमी वो बुरा नहीं । फिल्म इसी उद्देश्य से बनाई गई भी गई थी शायद ।

संजू’ की कहानी संजय दत्त (रणबीर कपूर) को सजा सुनाई जाने के साथ होती है । अपने जीवन पर किताब लिखने के लिए वे मशहूर लेखक विनी (अनुष्का शर्मा) से मिलते हैं। अपनी आपबीती बताना शुरू करते हैं। कहानी कुछ यूं कि मां बाप बेटे संजू की पढ़ाई के लिए उसे बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं। जहां उसे नशे की लत लग जाती है। संजू, माता-पिता से कई बातें छुपाता है। इसी बीच नरगिस की तबीयत खराब हो जाती है। फिल्म में एक सीन है जिसमें संजू बता रहे हैं कि उन्हें नहीं मालूम कि मां के पिछले आखरी पलों में वो होश में थे या नशे में धुत। ड्रग्स से छुटकारा पाने रिहैब सेंटर जाना, मुंबई बम धमाकों में नाम आना । कई बार जेल जाना। इसके इर्दगिर्द लव अफेयर्स। एवं पारिवारिक रिश्ते। संजय दत्त के जीवन के इन रोचक घटनाक्रमों को फिल्म में ख़ास जगह मिली थी।

संजय दत्त ने अपने निजी व प्रोफेसनल पहलू को परदे पर उतारने के लिए दोस्त राजू हिरानी पर भरोसा किया था। फ़िल्म से गुज़र कर यह वायदा सच होता दिखाई दिया। राजकुमार हिरानी हर जगह संजय दत्त के साथ खड़े नज़र आएं। कहीं कहीं पर एकतरफ़ा से हो गए। रणबीर कपूर की का दमदार अभिनय अपनी जगह।