FilmCity World
सिनेमा की सोच और उसका सच

Interview : रॉ का हीरो मैं नहीं ..डायरेक्टर रॉबी ग्रेवाल हैं – John Abraham

0 1,094

John Abraham की फिल्म रोमियो अकबर वॉल्टर यानि रॉ अंडर कवर एजेंट्स की सच्ची कहानी पर आधारित है। फिल्म के निर्देशक हैं रॉबी ग्रेवाल और फिल्म को लेकर जॉन काफी उत्साहित हैं। रॉ को लेकर हमारे संवाददाता आकाश गाला ने जॉन से की खास बातचीत । पेश है बातचीत के खास अंश।


जॉन….आप लगातार एक खास तरह की फिल्म का हिस्सा बन रहे हैं…क्या ये एक रणनीति है या कुछ और ।

तो इस तरह की फिल्मों का मेरा पास आना मेरा कोई डिजाइन नहीं है..बल्कि ये पूरी बाई डिफॉल्ट मेरे पास आ रहीं हैं…हां मैं वही फिल्म करता हूं जो मुझे अपील करतीं हैं, न सिर्फ देशभक्ति वाली फिल्म बल्कि फिलहाल मैं पागलपंती कर रहा हूं जो कॉमेडी है और मैने वो इसलिए साइन की क्योंकि एक दर्शक के तौर पर लोग ऐसी फिल्मों के दीवाने हैं साथ ही स्क्रिप्ट अच्छी है। रही बात रॉ की तो ये कहानी ऐसी थी जिसे सुनने के बाद मेरे होश उड़ गए…यही बात बाटला हाउस के साथ भी है कि उसकी कहानी ने हैरान कर दिया..रॉ की बात करूं तो ये स्टिरियोटिपिकल पैट्रिऑटिक फिल्म नहीं है…तो जब आप ट्रेलर भी देखें तो बहुत से सवाल हैं इस आदमी पर..तो क्या है वो आप फिल्म देखेंगे तो और गहराई पता चलेगी। लेकिन हां मैं ये जरूर मंजूर करता हूं कि मैं भारत को प्यार करता हूं, मैं देश से प्यार करता हूं..शायद इस वजह से भी ऐसी फिल्में मेरी तरफ आ रहीं हैं।

फिल्म के ट्रेलर में आपके कई रूप दिख रहे हैं..फिर टाइटल में तीन अवतार की बात क्यों ?
वैसे तो फिल्म में मेरे 15 अलग अलग गेटअप हैं..लेकिन मुख्य रूप से 3 अवतार फिल्म की कहानी के साथ ज्यादा मजबूती से जुड़े हैं। रही बात नाम की तो इसका श्रेय मुझे मेरे प्रोड्यूसर बंटी वालिया को देना होगा जिन्होने ये टाइटिल पर क्लिक किया..दरअसल किरदार का नाम रहमतुल्ला अली है जो अकबर मलिक और वॉल्टर खान भी बनता है…तो इनको जोड़ने से रहमतुल्ला का R, अकबर का A और वॉल्टर का W आता है जिसको RAW नाम दिया गया है।

जॉन क्या ये फिल्म रॉ एजेंट रविन्द्र कौशिक की कहानी है ?
जी नहीं..ये वो फिल्म नहीं है। ये सच्चाई के करीब है मगर पूरी तरह किसी विशेष घटना पर नहीं है…इसको ऐसे समझिए जैसे मद्रास कैफे में सबकुछ सच्चाई के इर्द गिर्द था मगर मेरा किरदार फिक्शनल था..ठीक वैसे ही इस फिल्म में सच्चाई है लेकिन मेरा किरदार तीन अलग अलग एजेंट्स से उधार लिया गया एक नया कैरेक्टर है। रॉबी ग्रेवाल जो फिल्म के निर्देशक हैं उनके पिता मिलिट्री में थे तो बहुत डिटेलिंग के साथ काम किया गया है…. फिल्म में मेरे किरदार के अलावा बाकी सबकुछ सच है..मैं दावे से कह रहा हूं कि जब आप फिल्म देखकर बाहर निकलेंगे तो आप संतुष्ट होकर निकलेंगे..ये एक ऐसी फिल्म है जिसका क्लाईमैक्स आपको दमदार लगेगा..आप मेरे शब्दों को याद रखिएगा…मैं इस फिल्म का हीरो हूं प्रोड्यूसर हूं सिर्फ इसलिए ये बात नहीं कह रहा..बल्कि मैं भरोसे के साथ कह रहा हूं।

पागलपंती पर फिर से आते हैं क्योंकि आप वो फिल्म शूट कर रहे हैं तो खबरें ये थीं कि फिल्म काफी प्रभावित हुई लंदन में आए तूफान की वजह से जिसके कारण फिल्म अब आगे शिफ्ट हो गई है तो क्या कहना होगा आपका…
जी सही कहा आपने, पागलपंती के शूट के दौरान मौसम बहुत खतरनाक हो गया था..हमने बहुत कोशिश की लेकिन शूट की तैयारियां होने के बावजूद हमें रुकना पड़ा क्योंकि तूफान के आगे क्या कर सकते हैं आप… लेकिन हमने उसमें भी समय चुराकर फिल्म शूट की..लेकिन इसका श्रेय अकेले मुझे नहीं जाता..क्रेडिट मिलना चाहिए अनिल कपूर, सौरभ शुक्ला, इलियाना,कृति, अरशद वारसी अनीस भाई और पूरी पागलपंती की टीम को जिन्होने ये मुमकिन किया।

जॉन मॉडलिंग के दिनों में भी आपने एक्टिंग की..अब लगातार गंभीर फिल्मों का आप हिस्सा हैं..कितना फर्क पा रहें हैं अपनी एक्टिंग में अगर खुद को देखें तो।
बहुत ही शानदार सवाल है ये..मॉडलिंग मैने तब शुरु की जब मैं MBA कर चुका था..जो लोग मुझे करीब से जानते हैं वो बता सकते हैं कि मैं उस वक्त भी पॉलिटिकली बहुत जागरूक था..मुझे पता होता था कि देश में क्या हो रहा है..मैने एमबीए मार्केटिंग में किया था तो मैने सीखा था कि अपने प्रो़डक्ट को आपको बेचना होता है..अपने प्रोडक्ट को आपको अगर बेचना है तो उसकी यूनिक सेलिंग प्वाइंट पर बेचना होता है..जिसे यूएसपी कहते हैं…यही रूल मैने अपने करियर में भी अपनाया.. जब मॉडलिंग शुरु की तो मुझे पता था मेरा फीजिकल अपीयरेंस मेरी यूएसपी है…तो मैने वो बेचना शुरु किया..बाद में फिल्मों में आया तो वो किया जो करना चाहता था..बाकी हुनर भी दिखाने का मौका मिला..जब प्रोड्यूसर बना तो एक अलग सोच विकसित हुई..तब मेरे अंदर अलग बदलाव हुए…हालांकि शुरुआती दौर में भी फिल्में अच्छी कीं…जैसे न्ययॉर्क या टैक्सी नंबर नौ दो ग्यारह मेरी पसंदीदा फिल्में हैं..लेकिन प्रोड्यूसर बनने के बाद एक तरह के मेच्योरिटी का विकास हुआ मेरे काम में जो मुझे बड़ा बदलाव दिखता है।


जॉन..आपने अपने पसंद की फिल्में की, किसी खास कैंप का हिस्सा नहीं बने और आज अपना एक अलग स्टारडम रखते हैं आप..इस सोच के बारे में बताएं।
सही कहा आपने, मैं सच में यही चाहता था अपने लिए, इसीलिए मैं पार्टियों में नहीं जाता, किसी कैंप में नहीं घुसा, कैसे फॉलोवर बनना है ये नहीं सीखा और आज इससे खुश हूं मैं। मेरी अपनी फिल्मों की दुनिया है, जिसे चाहने वाले हैं, सम्मान मिलता है मुझे और इन सबसे ऊपर एक संतोष है अपने काम करने का, फिल्में जो बना रहा हूं उन पर फक्र होता है और यही मैं चाहता था। मेरे हिसाब से आपका काम बात करना चाहिए…


जॉन अवार्ड्स का सीजन चल रहा है..आपका क्या ख्याल है पॉपुलर अवार्ड्स के बारे में।
मेरे मन में इन अवार्ड के लिए कोई सम्मान नहीं है। आप कैटेगरी तो देखिए, बेस्ट सोशल मीडिया सेलिब्रिटी अवार्ड….मेरी फिल्मों को वो नॉमिनेट भी नहीं करते जल्दी इसी वजह से । नेशनल अवार्ड को छोड़कर सभी अवार्ड अजीब हैं। पान मसाला ब्रांड के आगे ये अवार्ड दिए जाते हैं तो आप इनकी गंभीरता का अंदाज़ा लगा सकते हैं।

सेंसर को लेकर क्या राय है आपकी…क्या रॉ को कोई कट्स मिले।
मैं बहुत खुश हूं सेंसर ने फिल्म रॉ को एक भी कट नहीं दिया, फिल्म को यू-ए सर्टिफिकेट मिला है। सिर्फ दो शब्दों को हमने सेंसर किया है। बोर्ड का माइंडसेट बदल चुका है शायद। मेरा अनुभव शानदार रहा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.