HER THE MOVIE: प्रेम अपनी इक्कीसवीं सदी में है जनाब
मेरे कम तजुर्बे और कुछ फिल्मों के बेहतरीन स्तर का ही ये नतीजा है कि मुझे इस शानदार फिल्म की सिनेमाई समझ को बयां कर पाने के लिए शब्दों से संघर्ष करना पड़ रहा है। डायरेक्टर स्पाइक जोंज़ ने वाकई फ्यूचरिस्टिक फिल्म बनाई है। जहां भविष्य की फिल्म की बात होते ही साइंस फिक्शन फिल्मों की पूरी सूची हम सब देने लग जाते हैं वहां ये विशुद्ध फ्यूचरिस्टिक सिनेमा है। एक ऑपरेटिंग सिस्टम से इंसान के प्रेम का ये वो ब्यौरा है जहां स्क्रीनराइटिंग में इतनी कन्विक्शन नज़र आती है कि आप हतप्रभ रहे बिना रह ही नहीं सकते..और चूंकि ये प्रेम कहानी है इसलिए बहुत जज़्बाती भी। ये ऑस्कर की दहलीज़ पर पहुंचने वाली उन फिल्मों में से है जिनकी स्टोरीटेलिंग कंटेम्प्ररी होते हुए भी नवेली है। कहानी की बात चली है तो कहानी एक भावनात्मक प्रेम पत्र लिखने वाले इंसान थियोडोर की है जो ये पत्र बतौर प्रोफेशन लिख रहा है जिससे उन लोगों की मदद हो सके जो अपनी भावनाएं शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे। भावनाओं से भरे शब्दों की दुनिया में शब्दों के अलावा उसके साथ कम लोग हैं, विवाह तलाक तक आ पहुंचा है और वो अपने अकेलेपन में इस क़दर जकड़ा है कि आधुनिक दुनिया के सारे साधन जो उसके अकेलेपन को दूर कर सकते हैं, बेअसर हैं। इस अकेलेपन को कहीं छोड़ आने की ज़िद उसे एक ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम के करीब ले आती है जिसे कुछ ऐसा प्रोग्राम किया गया है कि वो एक पार्टनर की कमी पूरी कर सके। गौरतलब है कि ये ऑपरेटिंग सिस्टम ,इंसानी जज़्बातों के संपर्क आकर खुद को बेहतर भी कर सकता है।ये बेहतरी थियोडोर के जीवन को बेहतर बनाना शुरू करती है और नायक को लगने लगता है कि जीवन में कहीं बगैर शर्त प्रेम है तो वो उस ऑपरेटिंग सिस्टम के ज़रिए ही है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ थियोडोर ही इस तरह के प्रेम में गिरफ्तार है। उसके आसपास बहुत से लोग नये ऑपरेटिंग सिस्टम में अपने अकेलेपन का जवाब पा रहे हैं। लेकिन बगैर देह प्रेम संभव है क्या..आज की टचस्क्रीन की पैड की दुनिया में बगैर स्पर्श प्रेम की अभिव्यक्ति संभव है, फिल्म इस सवाल का जवाब नहीं देती बल्कि कुछ ऐसे दृश्यों से आपको गुज़ारती है कि अलग अलग दृष्टिकोण के लोगों को भी एकराय हो जाने का खतरा रहेगा। जिस ऑपरेटिंग सिस्टम के पास थियोडोर की हर शंका, हर जज़्बात के लिए जगह है वो ऑपरेटिंग सिस्टम ही जब मनुष्य के संपर्क में आकर जज़्बाती हो जाय तो जीवन से आप किस तरह का बर्ताव करेंगें। डायरेक्टर माइकल जोंज की हर अगर कहीं मात खा सकती थी तो बस यही वो मोड़ा था फिल्म में जिसे वो शानदार ढंग से पार करते हैं। ऐसा नहीं है कि HER में खामियां नही हैं। ये फिल्म कुछ कुछ जगह बहुत उबाउ हो जाती है क्योंकि कुछ पेचीदा बातों को निर्देशक समझाने में वक्त ज़ाया करने लग जाते हैं और वो भी बगैर फिलॉसफी के सहारे। लेकिन ऐसी कमियां तुरंत बाद आने वाले सीन्स से अपना रफू कर जाती हैं इसलिए बहुत सारी एक तरह की ली गई तस्वीरों में से एक चुनने वाली योजना काम करती है इस फिल्म में।
HER अपनी मेकिंग में इतने महीन ऑब्ज़र्वेशन लेकर चलती है कि दर्शक अगर इत्मिनान पसंद है तो फिल्म के करीब होता जाता है। एक इंसान है जो अपने अकेलेपन में ज़ाया हुआ जा रहा है और ऐसे अकेलेपन में उसका चलना, बोलना, झिझक ये सब हम सबके अकेलेपन जैसे ही हैं। और मेरे जैसे फिल्म प्रेमी के लिए इस फिल्म को पसंद कर जाना फीनिक्स की किरदारी जादुगरी कही जायेगी क्योंकि फीनिक्स नाम का ये बढ़िया अभिनेता मुझे बस इसलिए नापंसद था क्योंकि ग्लैडिएटर में निभाई गयी उसकी नकारात्मक भूमिका(फिल्म मैने अपनी नासमझी के दिनो में देखी थी) ने मुझे उसके प्रति चिढ़ दे दी थी। फिल्म जब अपने क्लाइमैक्स के आस पास होती है तो ऐसे कितने सीन हैं जो मशीन की सीमाएं और इंसान की मुक्तता का बयान भावपूर्ण ढंग से करते हैं वो भी बगैर किस भाषण के। HER सही मायने में इक्कीसवीं सदी की प्रेम कहानी है क्योंकि सोशल साइट्स के बढ़ते दखल और चिटचैट की दुनिया में हज़ारों दोस्त बनाकर भी हम अकेले हैं। और वाकई एक ऐसा वक्त आयेगा जैसा कि फिल्म कामयाबी से बता पायी है कि आप अकेलेपन का जवाब भी किसी मशीन से मांगेंगे और मशीन के उस पार से आवाज़ आयेगी।
Hii..I am Samantha..what can I do for u…
औप तब अगर आपको प्रेम हो जाये मशीन से तब आप पक्षियों से भी ज्यादा विवश हो जायेंगे।