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अम्मी का अच्छा बच्चा : LION A Long Way Home

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भले ही लायन ऑस्कर पुरस्कारों में कोई जगह न बना पायी हो..लेकिन इससे उसकी अहमियत कहीं से भी कम नहीं होती..पुरस्कारों में प्रतिस्पर्धा सर्वश्रेष्ठ के बीच ही होती है..और जो उनमें अव्वल हो उसके हक में ईनाम आता है..इस लिहाज से लायन एक महत्वपूर्ण फिल्म है…डिजिटल युग और जानकारियों का साम्राज्य फिल्मों के प्रति जिज्ञासाएं उसके प्रदर्शन तक शांत कर देता है..और अगर फिर भी कोई फिल्म आपको अपने कहने में बुन ले..मानों आप उस कहानी को कहीं और अपने साथ ले जायेंगे.. तो इसे फिल्म की ताकत समझा जाये..लायन में पांच साल का सरु किसी आम कहानी जैसे ही रेलवे स्टेशन पर गुम हो जाता है..सरू का भाई गुड्डू है जो उसका बहुत ख्याल रखता है..लेकिन वही उसे खो भी देता है..नींद से जागा सरू खुद को चलती हुई ट्रेन में कैद पाता है जो सीधा उसे कोलकाता पहुंचाती है..स्टेशन की भीड़ में पिलर पर चढ़कर वो आखिरी बार गुड्डू नाम पुकारता है…ये सीन आपका कलेजा मुंह तक ला देगा..आप सुबकेंगे ये भी तय है..और यहीं से सरु के सफर में आप उसके साथ साथ होंगे..वो जहां जहां जायेगा आप उसके साथ हो लेंगे..आप तब भी साथ होंगे जब वो अपनी अम्मी को याद कर रो रहा होगा..आप जानेंगे कि वो अपनी अम्मी का अच्छा बच्चा है..वो अच्छा बच्चा जो अम्मी के लिए पत्थर उठाता है…वो अच्छा बच्चा जो उसके लिए आम और दूथ लाता है वो भी कोयला बेचकर…

वो पांच साल का नन्हा सा सरु परिवार में अपनी उपयोगिता हर कदम पर साबित करता है..मगर अब वो दुनिया की उस भीड़ में खो गया है जहां से अपने घर को खोजने घर के पास नही बल्कि दूर होता जाता है..इतना दूर कि वो ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच जाता है…जहां उसका एक नया परिवार है…ये परिवार उसे सबकुछ भुलाने में मदद कर रहा है..वो खुश है..लेकिन बेचैन भी..ये बेचैनी साये की तरह पीछे पड़े उसके पास्ट की है..उसकी एक प्रेमिका भी है मगर अब वो उसके साथ भी बेचैन है..पुराने रिश्तों को पाने की छटपटाहट वर्तमान को तकलीफ दे रही है …वो सन्यासी सा दिखने लगता है…उसका उसकी अम्मी..शकीला(उसकी बहन ) और गु्ड्डू के पास पहुंचना एक मकसद से ज्यादा फिक्र सा लगता है..वही फिक्र जो उसमें बसी है बचपन से लेकर

लायन अपनी शीर्षक से लेकर समझदारी तक में मानवीय संवेदनाओं और परिवार की एहमियत समझाने वाली संपूर्ण फिल्म है..क्यों व्यक्ति का मूल स्वभाव कभी बदल नहीं सकता ये आपको अपनी आसानी में समझा जाती है…उस छोटे से बच्चे सनी पवार की आंखो और कदमों ..चेहरे के भावों से ज्यादा पवित्र आपको कुछ लगेगा ही नहीं…ये बाकी फॉरेन फिल्म्स की तरह भारत की गरीबी या बेबसी का गीत नहीं गाती बल्कि ये उसकी ताकत..उसके मूल्यों और हर हाल में अपनी पहचान संभाले रखने की जद्दोजहद को बयां करती है..देव पटेल इस फिल्म से और गहरे हुए हैं…निकोल किडमैन की करूणा आपके भी दिल में उतर जायेगी..और यहां कोई क्लाईंमैक्स नहीं है..ये जिन्दगी का दर्शन है..निश्चित तौर पर सरु को उसका परिवार मिलेगा..मगर फिल्म खत्म होने के बाद आप फुटपाथों..रेलवे स्टेशनों..महानगरों की भीड़ में कोई न कोई सरू पायेंगे …मिल जाय तो कोशिश करिएगा कि वो अपनी अम्मी के पास पहुंच जाये।

Director: Garth Davis

Writers: Saroo Brierley (adapted from the book “A Long Way Home” by) Luke davis

Stars: Dev Patel, Nicole Kidman, Rooney Mara etc.

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