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Movie Review Mission Mangal : कैसी है मिशन मंगल पढ़िए रिव्यू

अक्षय कुमार की Mission Mangal देखने का प्लान बना रहे हैं तो उससे पहले हमारा रिव्यू जरूर पढ़िए…हम लेकर आएं हैंं भारत के पहले मंगल मिशन पर बनी फिल्म का फुल रिव्यू

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फिल्म – मिशन मंगल (Mission Mangal)

रेटिंग – 4/5

कलाकार – अक्षय कुमार, विद्या बालन, ताप्सी पन्नू, नित्या मेनन, कृति कुलहरी सहगल, सोनाक्षी सिन्हा, एच जी दत्तात्रेय, दलीप ताहिल, विक्रम गोखले, शरमन जोशी आदि। 

निर्देशक- जगनशक्ति 

पहली राय – मिशन मंगल भारत की पहली ऐसी साइंस फिल्म है जिसको पेश करने में इस बात का ख्याल रखा गया है कि आसानी से दर्शक स्पेस की मुश्किल बातों को समझ पाएं..ये फिल्म देखने के लिए जरूरी नहीं कि आप साइंस की समझ रखते हों..बल्कि ये फिल्म तो सारी टेक्टिनकल बातों को आम जिंदगी से जोड़कर सब समझा जाती है।

कहानी – ये कहानी है भारत के पहले मंगलयान मिशन की..एक ऐसा मिशन जिसके लिए ढंग का बजट भी नहींं था इसरो के पास..इसरो के होनहार वैज्ञानिक राकेश धवन ( अक्षय कुमार ) को जीएसलवी की नाकामी के बाद मिशन मार्स पर लगाया जाता है जिसके लिए न तो बजट है और न ढंग के लोग..वहीं दूसरी ओर नासा से आए वैज्ञानिक रूपर्ट देसाई यानि दलीप ताहिल को लगता है कि राकेश किसी काम का नहीं और वो उसकी सोच को बार बार काटने की कोशिश करता है मगर राकेश की सोच को समर्थन करते हैं उसके बॉस जिनका किरदार निभाया है विक्रम गोखले ने..राकेश का साथ देने आती है उनके फेल मिशन की सहयोगी तारा यानि विद्या बालन..दोनों मिलकर एक कम अनुभवी टीम बनाते हैं  मिशन मार्स  के लिए जिसमें है वर्षा पिल्लई ( नित्या मेनन), कृतिका अग्रवाल( तापसी पन्नू) , एका गांधी ( सोनाक्षी सिन्हा) , नेहा सिद्दिकी ( कृति कुलहरि) , परमेश्वर ( शरमन जोशी ) औरअनंत अईय्यर ( एच जी दत्तात्रेय)  . फिल्म की कहानी इसी टीम के मिशन मंगल को पूरा करने के दौरान होने वाली कठिनाइयों, सफलता, संघर्ष की के इर्द गिर्द रची गई है। आर बाल्की के साथ लेखक जगनशक्ति, निधि सिंह धर्मा और साकेत कोण्डीपर्थी की टीम ने इस कहानी को स्पेस फिल्म होते हुए भी आसान बनाए रखा है..पूड़ी से लेकर होम साइंस के सिद्धांत के सहारे ये सारी टेक्निकल बातों को बड़ी खूबसूरती से कह जाती है। कहानी में ढेर सारे शानदार लम्हे हैं लेकिन एक सीन जहां विद्या बालन का पात्र तारा सबसे पूछती है कि उनके मन में सबसे पहले वैज्ञानिक बनने का ख्याल कब आया , ये सीन जान है फिल्म की..आप यहां तालियां बजाने को मजबूर हो जाते हैं। हालांकि कहानी का पहला हाफ थोड़ा कम असरदार है..लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म मैजिक मोमेंट में दाखिल हो जाती है और विनर बनकर निकलती है।

एक्टिंग – वैसे तो ये फिल्म अक्षय कुमार के नाम पर बेची गई है लेकिन मेरी नजर में इस फिल्म की असल हीरो तो विद्या बालन हैं..उनके किरदार से आप भावनात्मक तौर पर पहले सीन से ही जुड़ जाते हैं..उनकी चमकती आंखों में जब आंसू डबडबाते हैं तो आपका गला भर आता है..वो जब खिलखिलाती हैं तो आपको अपनी जिंदगी गुलजार लगती है..विद्या के किरदार तारा की निजी जिंदगी की मशक्कत आपको अपनी सी लगती है। लेकिन ये भी कहना होगा कि अरसे बाद आप अक्षय कुमार को अलग फॉर्म में देखेंगे..वो इसरो के वैज्ञानिक और टीम लीडर के तौर पर गजब के नैचुरल लगे हैं..ये उनके बेहतरीन काम में से एक गिना जाएगा..सीनियर कलाकार एच जी दत्तात्रेय का अनुभव परदे पर समझ में आता है..वो बगैर किसी एफर्ट के कमाल के सीन देते हैं…नित्या मेनन हों ताप्सी या सोनाक्षी, शरमन और कृति सभी ने किरदार के मुताबिक एक टीम प्लेयर जैसा काम किया है जो फिल्म को संयुक्त प्रयास के तौर पर स्थापित करती है। बाकी कलाकारों में दलीप ताहिल और विक्रम गोखले समेत सभी ने संतोषजनक काम किया है।

डायरेक्शन और तकनीक – बतौर डायरेक्टर जगनशक्ति की ये पहली फिल्म है ..इससे पहले वो पा और चीनी कम बनाने वाले आर बाल्की के सहायक रह चुके हैं..पहली ही फिल्म में इतने कठिन विषय को बहुत मेच्योरिटी के साथ वो डील करते हैं…पूरा समय लेते हैं कहानी को ऊभारने के लिए…किसी भी किरदार को किसी पर हावी नहीं होने देते..मैजिक मोमेंट्स में दर्शक कैसे रिएक्ट करेंगे वो बखूबी जानते हैं इसलिए उनके बनाए कई सीन तो लाजवाब कर देंगे आपको..फिल्म का कैमरावर्क, एडिटिंग और बाकी तकनीनी पहलु जबरदस्त हैं..लेकिन दाद देनी होगी फिल्म के आर्ट डिपार्टमेंट और वीएफएक्स की जिन्होने कमाल का काम किया है। कुल मिलाकर मिशन मंगल एक ऐसी फिल्म है जिसे बच्चों के साथ देखा जाना चाहिए। मेरी रेटिंग पांच में से 4 स्टार्स।

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