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सिनेमा की सोच और उसका सच

Daayra : समाज की सोच पर सवाल उठाने वाली वो फिल्म

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1996 की ये फिल्म कहानी है दो लोगों की जिनको जीने के लिए अपने अस्तित्व से समझौता करना पड़ता है। अपनी पहचान को बदलना पड़ता है। एक अपनी इच्छा से तो दूसरा अपनी मजबूरी में अपनी असल पहचान को नकार देता है।
इस में एक ट्रांसवेस्टाइट यानी समलैंगिक है जिसे हम बोलचाल में बड़े आराम से हिजड़ा कह देते है (बिना ये जाने कि उससे उसे कितनी तकलीफ होती होगी) और एक लड़की है जिसकी शादी होनेवाली थी लेकिन शादी के एक दिन पहले ही कुछ दलाल उसे कोई और समझकर उठा लेते है। और यहां से शुरू होती वो कहानी जो समाज के कई रूढ़ीवादी सोच पर सवाल खड़ा करती है, उस पर प्रहार करती है।
लड़की किसी तरह दलालों की चंगुल से भाग निकलती हैं। लेकिन यहां से निकल वो समाज के उन वहशियों के हाथों में पड़ जाती है जो उसकी इज्जत को तार-तार कर देते है। वहीं दूसरी तरफ वो समलैंगिक जो कभी नृत्य की दुनिया का सितारा हुआ करता था आज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। एक पुरूष के तौर पर पैदा होना औऱ फिर उस के पुरुषार्थ के साथ रहना उसे कभी आया ही नहीं, नृत्य ही उसकी जिंदगी थी। जब वो उससे छीन लिया गया तो उसके पास उसका अपना कुछ नहीं रहा। बावजूद इसके उसने दुनिया के रिवाजों और ढकोसलों के चलते अपने अदंर के बचे कुछ मर्द को खींचकर बाहर निकाला और उसी के सहारे शादी की। लेकिन जब आपकी आत्मा ही आपके उस अस्तित्व को नहीं अपना रही तो आप उस बाहरी अक्स के साथ कैसे जी पाओगे। और फिर उसने सबकी परवाह छोड़कर अपने अंदर की स्त्री को अपना लिया। और जीने लगा वो जिंदगी जो उसे खुशी देती है।
ये दोनों मिलते हैं कुछ ऐसी परिस्थिति में जहां सोनाली के पास निर्मल के साथ जाने के अलावा और कोई चारा नहीं होता। निर्मल एक समैलिंगक है लेकिन सोनाली तो अभी भी लड़की ही है। जिस पर अभी भी कई लोग बुरी नजर रखेंगे। बस इसलिए यहां उसे अपनी पहचान बदलनी पड़ेगी। निर्मल उसे ये कदम उठाने को कहता है। सोनाली मना करती है। लेकिन निर्मल उसे समझाता है कि उसके वापस लौटने का सफर अभी दूर है और उसके साथ पहले हुआ वो दोबारा भी हो सकता है।
सोनाली बदल जाती है। वो एक लड़की से लड़का बन जाती है, बाल कट जाते है, रंगरूप बदल जाता है, कपड़े बदल जाते हैं। लेकिन फिर भी उसके अंदर की स्त्री नहीं मरती। अपने आप को मर्द दिखाने के लिए वो एक गैराज में काम करती है, ठेके पर शराब पीती है। चाल ढाल बोल चाल सब बदल देती है। लेकिन बावजूद इसके उसके अंदर की स्त्री उसे बार-बार कचौटी है। लेकिन उसके साथ निर्मल है, जो बार-बार उसे उसके मर्द होने का दिलासा देता रहता है।
वो एक विधवा स्त्री के घर शरण लेते है। ये स्त्री बेहद कम उम्र में ही विधवा हो गई थी। अब वो यहां अपनी बेटी के साथ रहती है। निर्मल और सोनाली उससे एक रात के लिए आश्रय मांगते है। वो दे देती है। इसी दौरान सोनाली के बाहरी रूप को देखकर उस स्त्री के मन में तड़प जग जाती है। उसके सामने एक सुंदर युवक खड़ा है। जिससे उसको उस प्रेम के मिल जाने की आस है जो उसे उसके पति से ना मिल सका। बेहद कम उम्र में विधवा हो जाना और अबतक का पूरा जीवन अकेले काटना आसान नहीं होता। और शायद यही वजह होती है कि वो अपने आपको पूरी तरह से सौंपने के लिए सोनाली के सामने खड़ी हो जाती है। लेकिन ये कैसे मुमकिन है बाहर से एक मर्द का हुलिया लिए सोनाली अंदर से तो है एक औरत ही ना। वो उसे तिरस्कृत कर देती है। इसलिए नहीं कि उसे अपनी पहचान छुपानी थी बल्कि इस लिए कि खुद एक औरत होते हुए उसे उस औरत की पीड़ा अंदर तक झकझौर देती है। ये सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या एक औरत के लिए इस समाज में केवल नियम कानून ही है कोई खुशी, कोई संतुष्टि नहीं।
सोनाली और निर्मल आगे बढ़ते है अपने सफर पर। अब सोनाली को ये मर्द का रूप रास आने लगा है और निर्मल का साथ भी। निर्मल की सोच उसे अपनी खुशियों के बारे में सोचने का मौका देती है। अपने बारे में समझने में मदद करती है। ये दोनों अपने बदले हुए रूप में ही एक दूसरे के साथ खुश हैं। लेकिन अब सफर खत्म होने वाला है। सोनाली का गांव बेहद नजदीक है। अब सोनाली को ये मर्दों वाला चोला उतार कर वापस स्त्री बनकर अपने घर जाना होगा। लेकिन वो अब नहीं जाना चाहती। उसे यहां निर्मल के साथ ये जिंदगी अच्छी लगने लगी है। लेकिन वो जाती है निर्मल के कहने पर जाती है। लेकिन शायद उसको नहीं जाना चाहिए था। क्योंकि दुनिया से लड़कर अपना रूप बदलकर अपनी पहचान छुपाकर जिस अपनेपन और प्यार की उम्मीद करते हुए सोनाली वापस अपने घर आई थी। उसे यहां ऐसा कुछ नहीं मिलता। उसके पिता उसे अपनाने से इनकार कर देते हैं। गांववालें उसे एक बदचलन औरत मान चुके हैं जो शादी के ऐन पहले घर से भाग गई। कोई उसकी मजबूरी नहीं देखता, उसके साथ हुए अन्याय को नहीं सुनता। उनकी नजरों वो गलत औरत है। और वो अब यहां नहीं रह सकती है। ऐसी औरतों को मर जाना चाहिए। गांव वाले सोनाली को मारने के आते हैं लेकिन निर्मल एक बार फिर उसे बचा लेता और अपने साथ ले जाता है।
लेकिन अब सोनाली को गुस्सा आ रहा है। इस दुनिया पर, इस समाज पर यहां की सोच पर। वो नाराज है अपने घरवालों से, गांववालों से, सबसे। आखिर इन सब में उसकी क्या गलती थी जो उसे दोषी ठहराया गया। दलाल किसी को लेने आए थे उसे उठा ले गए। लोगों ने उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर उसके साथ बलात्कार किया। वो तो शादी करना चाहती थी। अपने पति का प्यार पाना चाहती थी।


निर्मल उस की तकलीफ सुनता रहता है। उसका गुस्सा देखता रहता है। सोनाली को निर्मल पर भी गुस्सा है। क्यों उसने उसे बचाया, मर जाने देता। कम से कम उसे इन तकलीफों को भुगतना तो नहीं पड़ता। सोनाली नाराज है कि इन सब में उसकी क्या गलती थी वो तो बस एक परिवार चाहती थी, अपना घर चाहती थी लेकिन मिला क्या उसे, एक वीरान बंजर जिंदगी। सोनाली के अंदर से टूटने की कगार पर निर्मल उसे संभाल की कोशिश करता है। सोनाली उससे पूछती कि वो क्या कर सकता है उसके लिए। जिस पर निर्मल कहता है कुछ भी जो वो बोले। निर्मल के जवाब पर सोनाली के गुस्से का गुबार फट जाता है वो उससे अपना ये स्त्री का रूप उतार फेंकने को कहती है। एक बार फिर उसे मर्द बनने को कहती है।
इस के बाद निर्मल वो करता है जो शायद उसके लिए इस दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। वो वापस से मर्द बनता है सिर्फ सोनाली के लिए। जब सोनाली को इस बात का अहसास होता है तो वो हैरान रह जाती है। निर्मल जिसके लिए उसकी अंदर की औरत उसका जीने की वजह था उसकी असल पहचान थी। वो आज वापस मर्द बन रहा है सिर्फ सोनाली के लिए। इससे ज्यादा और इससे पवित्र प्यार उसे कोई और नहीं कर सकता।
दोनों एक बार फिर से एक साथ नई जिंदगी की शुरूआत करते है। अपनी इस नई पहचान के साथ। दोनों खुश है लेकिन शायद समाज को ये खुशी बर्दाश्त नहीं होती। और एक बार फिर वो सोनाली को औरत के तौर पर देखकर उस पर झपटने की कोशिश करता है। और सोनाली को बचाने में निर्मल की मौत हो जाती है।
सोचने वाली बात है कि जबतक निर्मल अपने अंदर की स्त्री को जी रहा था वो जिंदा था जैसे ही वो मर्द बना इस दुनिया ने उसे भी जीने नहीं दिया। फिल्म के डायलोग बेहद खास है जो आपको फिल्म से जोड़े रखते हैं। और फिल्म के खत्म हो जाने के बाद तक आपके साथ रहते है। नेशनल अवॉर्ड विजेता इस फिल्म को भारत में थिएट्रीकल रिलीज कभी नहीं मिला। ताज्जुब की बात, क्योंकि इस तरह की फिल्में कम ही बनती जो अपनी लीक से बेहद अलग होते हुए आपको खुद से जोड़े रखती है।

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