सदाबहार देव आनंद..जिनकी अदाकारी, स्टाइल और फैशन सेंस ने करोड़ों दर्शकों को अपना दीवाना बनाया…न सिर्फ फिल्मों की दुनिया में बल्कि निजी जिंदगी में भी देव साहब ने जिंदादिली से जीवन को जिया…26 सितंबर उनके जन्म के 100 साल पूरे हुए..भले ही वो हमारे बीच नहीं है..लेकिन उन्हें चाहने वाले उन्हें आज भी याद करते हैं..इसीलिए फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन उनके जन्मदिन के दिन देव आनंद फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया..जिसके तहत 30 शहरों में देव साहब की क्लासिक फिल्में बड़े पर्दे पर दिखाई गईं..आइए आपको बताते हैं देव आनंद के कुछ दिलस्प कहानियां..
देवानंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को गुरदासपुर में हुआ
पढ़ाई में होशियार देव आनंद अंग्रेज़ी में बीए ऑनर्स थे
साल 1943 में वो महज 30 रुपए लिए बंबई पहुंचे थे
1945 में उन्होंनें ‘हम एक हैं’ में पहली बार एक्टिंग की
देवानंद के शुरुआती और खास दोस्त थे गुरुदत्त
देव साहब ने ही गुरुदत्त को फिल्मों में मौका दिया
नवकेतन फिल्म्स की ‘बाजी’ के डायरेक्टर गुरुदत्त थे
देवानंद की सबसे यादगार फिल्मों में शामिल रही ‘गाइड’
‘गाइड को देव साहब ने अंग्रेजी और हिंदी दोनों में बनाया था
देवानंद ने फिल्म इंडस्ट्री को दमदार कलाकार दिए
शत्रुघ्न सिन्हा, जैकी श्रॉफ, जीनत अमान उनकी खोज थे
एक जमाने में देवानंद का जीनत अमान पर दिल आ गया था
सीआईडी’ ‘गाइड”ज्वैल थीफ’, जॉनी मेरा नाम’ हम दोनों जैसी बेमिसाल फिल्में देने वाले देव साहब की फिल्मों का संगीत भी शानदार हुआ करता था..देवानंद और सुरैया का इश्क़ बॉलिवुड की सबसे शानदार प्रेम कहानियों में से एक है.लेकिन ये दोस्ती शादी के मुक़ाम तक नहीं पहुँच सकी. देवानंद ने बंबई के ज़वेरी बाज़ार से सुरैया के लिए हीरे की एक अंगूठी ख़रीदी. लेकिन सुरैया की नानी बादशाह बेगम को ये रिश्ता रास नहीं आया और उन्होने वो अंगूठी समंदर में फेक दी..लेकिन देव साहब ने जिंदगी के उतार चढाव में कभी भी जिंदगी से दोस्ती करना नहीं छोड़ा..और हमेशा जिंदादिली की मिसाल रहे..